Chapter 1 हड़प्पा सभ्यता | Bricks beads and bones | Class 12th | ईंट मनके और अस्थियां | hadappa sabhyata in Hindi notes

 हड़प्पा सभ्यता क्या है ?

उत्तर:- पहले ऐसा माना जाता था कि मेसोपोटामिया की सभ्यता , मिस्र की सभ्यता, चीन की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में सेेे एक है। लेकिन 1920 के दशक में हड़प्पा सभ्ययता की खोज हुई । उसके बाद या ज्ञात हुआ कि हड़प्पा सभ्ययता जैसी कोई सभ्यता अस्तित्व में थी। इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्ययता कहा जाता है।

NOTE:- हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहा जाता है।


हड़प्पा सभ्यता की खोज कैसे हुई?

उत्तर;-  पहले पंजाब ( वर्तमान पाकिस्तान ) मैं पहली बार रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थी और कुछ स्थानों पर खुदाई का कार्य चल रहा था। खुदाई कार्य के दौरान कुछ इंजीनियरों को अचानक हड़प्पा का पुरास्थल मिला। यह स्थान आधुनिक समय में पाकिस्तान में है। उन कर्मचारियोंं नेेेे इसे खंंड़हर समझ लिया और यहां की हजारों ईंट उखाड़़ कर यहां से ले गए और यहां के ईंटो इस्तेमाल रेलवे लाइन बिछानेे में किया गया लेकिन वह यह नहीं जान सके की यहां कोई सभ्यता थी।


Note:-हड़प्पा सभ्यता की खोज जॉन मार्शल के नेतृत्व में दयाराम साहनी द्वारा सन 1921 में किया गया।


      खोजकर्ता                  स्थान           समय

1.दयाराम साहनी             हड़प्पा          1921

2. रखलदास बनर्जी        मोहनजोदड़ो      1922


Note:- हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो दोनों ही सभ्यता पाकिस्तान में है।


एक नई सभ्यता की खोज?

उत्तर:- 1921 में दयारााम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थल की करवाई और हड़प्पा की मुहरें खोज ली। 1922 में रखालदास  बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक आस्थान पर उत्खनन कार्य किया और इन्होंने भी वैसे ही मुहरें खोज ली जैसी हड़प्पा में थी। इसके बाद यह अनुमान लगाया गया कि यह दोनों क्षेत्र एक ही । इसके बाद 1924 में भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण विभाग के डायरेक्टर जनरल सर जॉन मार्शल पूरे विश्व के सामने एक नई सभ्यता की घोषणा की।


हड़प्पा सभ्यता का नामकरण ?

उत्तर:- इस सभ्यता की खोज सबसे पहले हड़प्पा नामक स्थान से हुई इसलिए इसका नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ गया। यह सभ्यता सिंधु घाटी के किनारे बसी एक सभ्यता थी इसीलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता का नाम दिया गया।


HARAPPAN CIVILIZATION - हड़प्पा सभ्यता

INDUS VALLEY CIVILIZATION - सिंधु घाटी सभ्यता



हड़प्पा सभ्यता में निर्वाह के तरीके

  • कृषि
  • पशुपालन
  • व्यापार
  • शिकार 

1. हड़प्पा सभ्यता के स्थलों में रहने वाले लोग कृषि कार्य करते थे जिनका मुख्य फसल- गेहूं, जौ, दाल, सफेद चना, तिल, बाजरे, चावल इत्यादि उगाते थे


2. हड़प्पाा स्थलों से जानवरों की हड्डियां प्राप्त हुई है इससे यह पता लगता है कि यहां के लोग जानवरों को पाला करते थे और संभवत इनका शिकार किया करते थे।

  • पालतू जानवर- मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस
  •  जंगली जानवर- सुअर 

3. यहां मछली तथा पक्षियों की हड्डियां भी मिली है इससे यह अनुमान लगाया गया है कि हड़प्पा निवासी जानवरों का मांस खाते थे




हड़प्पा सभ्यता में कृषि प्रौद्योगिकी

उत्तर:- निम्नलिखित कारणों से लगता था:-

  • पड़प्पाई मुहरों मैं वृषभ ( बैल ) की जानकारी मिलती है। इतिहासकारों ने ऐसा अनुमान लगाया है कि हड़प्पा वासी खेत जोतने के लिए बैलों का प्रयोग करते थे।
  • इतिहासकारों को चौलिस्तान ( पाकिस्तान ) और बनवाली ( हरियाणा ) से मिट्टी के बने हाल के प्रतिरूप मिले हैं।जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि खेतों में हल के द्वारा जुताई की जाती थी।
  • कालीबंगन ( राजस्थान ) से जूते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि एक साथ दो अलग-अलग फसलें उगाई जाती थी। 
  • लोग लकड़ी के हाथों से बनाए गए पत्थर के फल को का प्रयोग फसल कटाई में करते थे
  • खेतों में सिंचाई की आवश्यकता भी पढ़ती थी जिसके लिए नदी तथा नाहर से पानी लिया जाता था।   


 NOTE:-  अफगानिस्तान के शोतुघई शहर से नहरों के कुछ प्रमाण मिले हैं कुछ स्थानों में कुवे भी बनवाए गए हैं

NOTE:-  धोलाविरा मैं जलाशय के प्रमाण मिले हैं शायद इसका प्रयोग भी कृषि के लिए किया जाता होगा।



हड़प्पा सभ्यता का क्षेत्रीय विस्तार

हड़प्पा सभ्यता त्रिकोण ( त्रिभुज ) आकार में था।

  • सुत्कांगडोर- वर्तमान में पाकिस्तान

  • मांडा- वर्तमान में कश्मीर

  • आलमगीरपुर- वर्तमान में उत्तर प्रदेश

  • दैमाबाद- वर्तमान में महाराष्ट्र

मोहनजोदड़ो

हड़प्पा सभ्यता एक नगरी सभ्यता थी। इस सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू शहरी केंद्रों का विकास था। सबसे पहले खोजा गया अस्थल हड़प्पा था। परंतु सबसे अधिक प्रसिद्ध हड़प्पा स्थलों में से एक मोहनजोदड़ो था। सिंधु घाटी संस्कृति के दो महत्वपूर्ण केंद्र हड़प्पा और मोहनजोदड़ो है।


पूरास्थल किसे कहा जाता है?

पूरास्थल ऐसे स्थल को कहा जाता है, स्थल पर पुराने औजार, बर्तन जैसे मृदभांड, इमारत, तथा ऐसे अनेक अवशेष प्राप्त होते हैं, इनका निर्माण यहां रहने वाले लोगों ने अपने लिए किया था। जिन्हें छोड़कर वह कहीं चले गए। हजारों वर्षों के बाद यह अवशेष जमीन कोपरिया अंदर पाए जाते हैं।


मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन प्रक्रिया?

मोहनजोदड़ो में बने भवनों के निर्माण से पहले इसका पूरा योजना तैयार किया गया था।

यहां बस्ती दो भागों में विभाजित थी

  1. दुर्ग
  2. निचला शहर

दुर्ग:- 

  • यह छोटा था लेकिन उचाई पर बना था
  • दुर्ग उंचाई पर इसलिए थे क्योंकि यहां पर बनी संरचना कच्ची ईंटों की चबूतरे पर बनी थी

  • दुर्ग को चारों तरफ से दीवार से घिरा गया था

  • यह दीवार इसे निचले शहर से अलग करती थी
  • दुर्ग का प्रयोग संभव था विशिष्ट कार्यो, विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था।

निचला शहर:-

  • ऐसा माना जाता है कि निचला शहर में आवाश भवन थे।
  • निचला शहर दुर्ग के मुकाबले अधिक बड़ा और नीचे बसा हुआ था।
  • नीचे शहर को भी दीवारों से गहरा गया था।
  • यहां भी कई भवनों को ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया था।
  • यहां के चबूतरे नींव का काम करते थे
  • इतने बड़े चित्र में भवन निर्माण में बहुत बड़े पैमाने पर श्रम की आवश्यकता पड़ी होगी।


हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी व्यवस्था 

  • हड़प्पा सभ्यता की अनूठी विशेषताओं में से एक व्यवस्था वहां की जल निकासी प्रणाली थी।
  • हड़प्पा शहरों में नियोजन के साथ जल निकासी की व्यवस्था की गई थी।
  • सड़कों और गलियों को लगभग ग्रीड पद्धति में बनाया गया था।
  • लड़के और गलियां एक दूसरों को समकोण पर काटती थी।
  • पड़प्पाई भवनों को देखकर ऐसा पता लगता है कि पहले यहां नालियों के साथ गलियां बनाई गई उसके बाद गलियों के अगल-बगल मकान बनाए गए।
  • प्रत्येक घर का गंदा पानी नालियों के जरिए घरो से बाहर चला जाता था।
  • घरों से बाहर निकलने वाली नाली एक बड़े नाले ( होज ) पर मिलती थी।
  • बड़े नाले के सारे घरों का समस्त पानी नगर से बाहर हो जाता था।

मोहनजोदड़ो के गृहस्थापत्य कला


  • मोहनजोदड़ो के निचले शहर में आवासीय भवन बने हैं। इन आवासों में एक आंगन और उसके चारों और कमरे बने थे।
  • आंगन खाना बनाने और कटाई करने के काम आता था।
  • यहां एकान्तता का ध्यान रखा जाता था।
  • मुख्य द्वार से कोई घर के अंदर या आंगन को नहीं देख सकता था
  • हर घर में अपना एक स्नानागार होता था जिसमें ईटों का फर्श होता था ।
  • स्नानागार का पानी नालियों के जरिए सड़क वाली बड़ी नाली से मिलाकर घर से बाहर कर दिया जाता था।
  • कुछ घरों में छत पर जाने के लिए सिढ़ियां बनाई जाती थी।
  • कई घरों में कुएं के प्रमाण भी मिले हैं।
  • कुएं एक ऐसे कमरे में बनाए जाते थे जिन से बाहर से आने वाले लोग भी पानी पी सकते थे।
  • ऐसा अनुमान लगाया गया है कि मोहनजोदड़ो में लगभग 700 कुएं बनाई गई थी।








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